1961 हिन्दी फिल्म हम दोनों के गीत मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया लिरिक्स हिन्दी में जस्ट लिरिक्स पर उपलब्ध हैं। इस गीत के लिरिक्स साहिर लुधियानवी जी ने लिखे हैं और मोहम्मद रफ़ी जी ने इसको अपने सुरों से सजाया है।
हिन्दी गीत के बारे में जानकारी
क्र.सं. | विषय | जानकारी |
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1 | गीत का नाम | मै ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया |
2 | गायक | मोहम्मद रफ़ी जी |
3 | लेखक | साहिर लुधियानवी जी |
4 | फिल्म का नाम | हम दोनों |
5 | तारीख | 1961 |
ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया लिरिक्स हिन्दी में विडियो
हिन्दी गीत मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया लिरिक्स हिन्दी में
मैं ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
हर फिक्र को धूंए में उड़ाता चला गया
हर फिक्र को धूंए में उड़ा
बर्बादियों का सोग मनाना फिजूल था
बर्बादियों का सोग मनाना फिजूल था
मनाना फिजूल था , मनाना फिजूल था
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया
हर फिक्र को धूंए में उड़ा
जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया
जो मिल गया उसी को मुकद्दर समझ लिया
मुकद्दर समझ लिया, मुकद्दर समझ लिया
जो खो गया मै उसको भुलाता चला गया
जो खो गया मै उसको भुलाता चला गया
हर फिक्र को धूंए में उड़ा
गम और खुशी में फ़र्क ना महसूस हो जहाँ
गम और खुशी में फ़र्क ना महसूस हो जहाँ
ना महसूस हो जहाँ ना महसूस हो जहाँ
मै दिल को उस मुकाम पे लाता चला गया
मै दिल को उस मुकाम पे लाता चला गया
मै ज़िंदगी का साथ निभाता चला गया
हर फिक्र को धूंए में उड़ाता चला गया