24 अगस्त 2022 को प्रकाशित महफ़िल ए रूहानियत एपिसोड 5 के दूसरे निरंकारी गीत / भजन शुक्र करां मेरे साहिबा लिरिक्स हिन्दी में अब जस्ट लिरिक्स पर उपलव्ध हैं । इस निरंकारी गीत / भजन को परमजीत जी ने गाया है। अजय बेजोड़ जी ने इस भजन के लिरिक्स लिखे हैं ।
निरंकारी गीत भजन के बारे में जानकारी
क्र.सं. | विषय | जानकारी |
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1 | गीत/भजन का नाम | शुक्र करां मेरे साहिबा |
2 | गायन | परमजीत जी |
3 | लेखन | अजय बेजोड़ जी |
4 | उपलक्ष्य/एल्बम | महफ़िल ए रूहानियत के एपिसोड 5 (Mehfil-E-Ruhaniyat episod-5) |
5 | तारीख | 24 अगस्त 2022 |
6 | copyright | सन्त निरंकारी मिशन |
निरंकारी गीत भजन शुक्र करां मेरे साहिबा लिरिक्स की विडियो
निरंकारी गीत भजन शुक्र करां मेरे साहिबा लिरिक्स हिन्दी में
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
मेरे साहिबा, मेरे साहिबा
मेरे साहिबा, मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
मेरी ज़िन्दड़ी ने साईंयाँ
तैत्थों रहमतां ने पाईयाँ
मेरी ज़िन्दड़ी ने साईंयाँ
तैत्थों रहमतां ने पाईयाँ
मेरी सोच तो परां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
होई नजर मेहर दी सवल्ली
पाई ज़िन्दड़ी च दात अमुल्ली
होई नजर मेहर दी सवल्ली
पाई ज़िन्दड़ी च दात अमुल्ली
सदका तेरी मेहर दा
तू लाया अखियाँ तों परदा
सदका तेरी मेहर दा
तू लाया अखियाँ तों परदा
मुक्क गईयाँ ठोकरां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
दाता भगती दे विच मन रंगदे
भाणे विच रहण दा नाले ढंग दे
दाता भगती दे विच मन रंगदे
भाणे विच रहण दा नाले ढंग दे
होवे सब्र सबुरी
करो मंग एहो पूरी
होवे सब्र सबुरी
करो मंग एहो पूरी
एहो अर्जां करां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
मेहरां तेरियाँ दा करां की व्यान मैं
कित्थों ऐसी लेआबां ओह जुबान मैं
मेहरां तेरियाँ दा करां की व्यान मैं
कित्थों ऐसी लेआबां ओह जुबान मैं
मैं हां अदना निमाणा
कोई गुण नही जाणा
मैं हां अदना निमाणा
कोई गुण नही जाणा
किवें सिफ़तां करां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
तू है बेजोड़ दिलां दियाँ जाणदा
सभ दियाँ तुहियों रमजां पछाण दा
तू है बेजोड़ दिलां दियाँ जाणदा
सभ दियाँ तुहियों रमजां पछाण दा
तू देणा केहड़े वेले की ए
जग जाणदा नही ए
तू देणा केहड़े वेले की ए
जग जाणदा नही ए
सभ तैनूं फिक्रां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
मेरी ज़िन्दड़ी ने साईंयाँ
तैत्थों रहमतां ने पाईयाँ
मेरी सोच तो परां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा
मैं तेरा शुक्र करां मेरे साहिबा