16 मार्च 2022 को प्रकाशित यह निरंकारी गीत तू ही तू के लिरिक्स हिन्दी में अब जस्ट लिरिक्स पर उपलब्ध है इस निरंकारी गीत के लिरिक्स जगत गीतकार जी ने लिखे है और इस गीत को डा. विनोद चौधरी जी ने गाया है
निरंकारी गीत की जानकारी
क्र.सं. | विषय | जानकारी |
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1 | गीत/भजन का नाम | तू ही तू |
2 | गायक | डा. विनोद चौधरी जी |
3 | लेखक | जगत गीतकार जी |
4 | प्रकाशन दिनांक | 16 मार्च 2022 |
5 | copyright | सन्त निरंकारी मिशन |
निरंकारी गीत तू ही तू की वीडियो
निरंकारी गीत तू ही तू लिरिक्स हिन्दी में
मैं जिधर वी देखता हूँ
है उधर ही तू ही तू
मैं जिधर वी देखता हूँ
है उधर ही तू ही तू
हर तरफ है हर जगह है
तू ही तो है चार सू
हर तरफ है हर जगह है
तू ही तो है चार सू
मैं जिधर वी देखता हूँ
है उधर ही तू ही तू
मैं जिधर वी देखता हूँ
है उधर ही तू ही तू
मुरशद ए कामिल की
जब से मेहरबानी हो गई
मुरशद ए कामिल की
जब से मेहरबानी हो गई
सब में ही दीदार तेरा
हो रहा है हू-ब-हू
सब में ही दीदार तेरा
हो रहा है हू-ब-हू
मैं समझता ये रहा तू
दूर रहता है कहीं
मैं समझता ये रहा तू
दूर रहता है कहीं
मैं समझता ये रहा तू
दूर रहता है कहीं
आज मैंने पा लिया है
तुझको अपने रु-ब -रु
आज मैंने पा लिया है
तुझको अपने रु-ब -रु
ये जहां है इक बगीचा
और तू है बाग-बाँ
ये जहां है इक बगीचा
और तू है बाग-बाँ
तेरी ही रहमत के सदके
है गुलो में रंग-ओ-बू
तेरी ही रहमत के सदके
है गुलो में रंग-ओ-बू
हो गई पूरी मुरादें
अब जगत पाकर तुझे
हो गई पूरी मुरादें
अब जगत पाकर तुझे
हो गई पूरी मुरादें
अब जगत पाकर तुझे
या खुदाया दिल को मेरे
तेरी ही थी जुस्त-जू
या खुदाया दिल को मेरे
तेरी ही थी जुस्त-जू
हर तरफ है हर जगह है
तू ही तो है चार सू
मैं जिधर वी देखता हूँ
है उधर ही तू ही तू
मैं जिधर वी देखता हूँ
है उधर ही तू ही तू
मैं जिधर वी देखता हूँ
है उधर ही तू ही तू