19 अक्तूवर 2022 को प्रकाशित महफ़िल ए रूहानियत एपिसोड 8 के तीसरे निरंकारी गीत / भजन सजदे भी करे शिकवे भी करे लिरिक्स हिन्दी में अब जस्ट लिरिक्स पर उपलव्ध हैं । इस निरंकारी गीत / भजन को आरती गिल जी ने गाया है। जगत्त जी ने इस भजन के लिरिक्स लिखे हैं
निरंकारी गीत/भजन के बारे में जानकारी
क्र.सं. | विषय | जानकारी |
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1 | गीत/भजन का नाम | सजदे भी करे शिकवे भी करे |
2 | गायक | आरती गिल जी |
3 | लेखक | जगत जी |
4 | उपलक्ष्य/एल्बम | महफ़िलए रूहानियत के एपिसोड 8 |
5 | तारीख | 19 अक्तूवर 2022 |
6 | copyright | सन्त निरंकारी मिशन |
निरंकारी गीत/भजन लिरिक्स हिन्दी की विडियो
निरंकारी गीत सजदे भी करे शिकवे भी करे लिरिक्स हिन्दी में
सजदे भी करे शिकवे भी करे
ये भगती का दस्तूर नहीं
भगती है नाम समर्पण का
भगती है नाम समर्पण का
इसमें शर्तें मंज़ूर नहीं
सजदे भी करे शिकवे भी करे
ये भगती का दस्तूर नहीं
भगती है नाम समर्पण का
भगती है नाम समर्पण का
इसमें शर्तें मंज़ूर नहीं……..
खुद नाचना मुझको आता नहीं
कहता हूँ कि आंगन टेढ़ा है
खुद नाचना मुझको आता नहीं
कहता हूँ कि आंगन टेढ़ा है
कहता हूँ कि आंगन टेढ़ा है
हर बार गरूर में आता हूँ
हर बार गरूर में आता हूँ
दावा है कि मैं मगरूर नहीं
सजदे भी करे शिकवे भी करे
ये भगती का दस्तूर नहीं
नौकर भी बने नखरे भी करे
यह बात नहीं बिल्कुल वाज़िब
नौकर भी बने नखरे भी करे
यह बात नहीं बिल्कुल वाज़िब
यह बात नहीं बिल्कुल वाज़िब
हुक्मी वन्दा जो बन ना सका
हुक्मी वन्दा जो बन ना सका
सुख से होता भरपूर नहीं
सजदे भी करे शिकवे भी करे
ये भगती का दस्तूर नहीं
है प्रेम जहां हो हुए एक वहां
भगती भगवान भगत तीनों
है प्रेम जहां हो हुए एक वहां
भगती भगवान भगत तीनों
भगती भगवान भगत तीनों
लेकिन अफ़सोस है की मुझमें
भगती भगवान भगत तीनों
आचरण का चमका नूर नहीं
सजदे भी करे शिकवे भी करे
ये भगती का दस्तूर नहीं
ये मन की गहरी भावना है
भक्ति नहीं शह दिखलावे की
ये मन की गहरी भावना है
भक्ति नहीं शह दिखलावे की -2
भक्ति रस क्या जाणे बो ‘जगत’ -2
जो प्रेम में होता चूर नहीं
सजदे भी करे शिकवे भी करे
ये भगती का दस्तूर नहीं
सजदे भी करे शिकवे भी करे
ये भगती का दस्तूर नहीं